बालासाहेब ठाकरे
बालासाहेब ठाकरे एक ऐसा नाम है जिसे हर हिन्दू व्यक्ति जनता है और उन का समान करता है बालासाहेब का नाम बाल केशव ठाकरे था इनके द्वारा शिव सेना का निर्माण महाराष्ट्र में किया था मुंबई की राजनीति में इनका का प्रभाव था।
बालासाहेब ठाकरे प्रारंभिक जीवन
ठाकरे जी का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में हुआ था इनके पिता का नाम केशव सीताराम ठाकरे था और माता रमाबाई ठाकरे, ठाकरे जी के तीन भाई और पांच बहने थी वह सभी में सबसे बड़े थे
जी के पिता पत्रकार और कार्टूनिस्ट थे पिता की सामाजिक कार्यों और लेखन में रुचि थी 1950 के दशक के संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में शामिल थे बाल ठाकरे अपने पिता के राजनीतिक कार्यों से बहुत प्रेरित थे।
कैरियर
ठाकरे जी ने मुंबई में फ्री प्रेस जर्नल में एक कार्टूनिस्ट के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी उनके कार्टून द टाइम्स ऑफ इंडिया के रविवार के पेपर में भी प्रकाशित हुए थे
फ्री प्रेस जनरल के साथ ठाकरे जी के मतभेद के बाद उन्होंने और राजनीतिक जॉर्ज फर्नांडीस सहित चार पांच लोगों ने वह पेपर छोड़ दिया और अपना दैनिक समाचार दिवस शुरू किया लेकिन यह अखबार दो–तीन महीने में ही बंद हो गया फिर उन्होंने 1960 में अपने भाई श्रीकांत के साथ कार्टून साप्ताहिक मार्मिक लांच किया इसमें आम मराठी व्यक्ति के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया जिसमे बेरोजगारी , मराठी श्रमिकों की छटनी के बारे में छापा जाता था। इसके कारण यह मराठीओं में काफी प्रसिद्ध हो गया।
मराठी युवा इस से जुड़ते गए और ५ जून १९७६ में शिव सेना में लोगो को सदस्यता देने कि घोषणा की गई ।
राजनीतिक
मार्मिक की सफलता ने 19 जून 1986 को रास्ता क्रय को शिवसेना बनाने के लिए लिए प्रेरित किया इसका नाम 17वीं शताब्दी के महाराजा शिवाजी की सेना के नाम पर शिवसेना नाम रखा गया था प्रारंभ में ठाकरे जी ने इसे एक राजनीतिक दल नहीं कहा था बल्कि इसे शिवाजी की सेना कहा था जोकि मराठी यों के हक के लिए लड़ेगी महाराष्ट्र में दक्षिण भारत और गुजरातियों को नौकरी देने सेयुवा को रोजगार नहीं मिल पा रहा था,1966 में अपनी पार्टी के घोषणापत्र में ठाकरे जी ने मुख्य रूप से दक्षिण भारत को दोषी ठहराया था ।
1969 में ठाकरे और मनोहर जोशी को महाराष्ट्र में करवान बेलगाम और नेपाली क्षेत्र के विलय की मांग के विरोध में जेल में बंद कर दिया गया 1970 के दशक में स्थानीय चुनाव में भाग लिया लेकिन यह वहां असफल रहे क्योंकि इनका सक्रिय क्षेत्र मुंबई के आस पास का ही था।
अब इन्होंने महाराष्ट्र में अन्य स्थानों पर भी अपने कार्यालय खोलें और लोगो के विवादों को सुलझाने के लिए सरकार के खिलाफ कार्य किए इन्होंने अपने विपक्ष के लोगों मीडिया के खिलाफ हमले करने की रणनीति शुरू की इन्होंने अन्य पार्टियों के संपत्ति को नष्ट करके आंदोलन किए सन 1975 में आपातकालीन के समय में गिरफ्तारी से बचने के लिए इन्होंने इंदिरा गांधी का खुला समर्थन किया ।
मम्मी के मेयर और पूर्व पारिवारिक चिकित्सक डॉ हेम चंद्र गुप्ता ने 1976 में शिवसेना को छोड़ दिया क्योंकि शिवसेना बहुत हिंसा कर रही थी और ठाकरे इंदिरा गांधी का समर्थन कर रहे थे।
शिवसेना कम्युनिस्ट विरोधी थी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का मुंबई ट्रेड यूनियन पर पूरा नियंत्रण था, जब कपड़ा उद्योग कम होने लगे तो मराठी युवा बेरोजगार हो गए तो उन्होंने शिव सेना में शामिल होकर शिव सेना को और शक्तिशाली बना दिया ,लेकिन अब शिव सेना सतारूढ़ पार्टी काग्रेस के लिए खतरा बन गई थी।
१९८९ में ठाकरे जी ने शिव सेना के लिए सामना के नाम से समाचार पत्र का शुभ आरंभ किया। 1991 में ठाकरे जी द्वारा मंडल आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ के करीबी छगन भुजबल ने शिवसेना छोड़ दी।
1982 के मुंबई दंगों के बाद ठाकरे ने शिवसेना को मुस्लिम विरोधी और हिंदुओं का रक्षक घोषित कर दिया और बाद में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर दिया 1995 के विधानसभा चुनाव जीते और 1995 से 1999 तक सत्ता में रहे ठाकरे जी ने उस समय अपने को रिमोट कंट्रोल मुख्यमंत्री घोषित किया था।
28 जुलाई 1999 को धर्म के नाम पर वोट मांगने और अभद्र आचरण करने के कारण चुनाव आयोग ने ठाकरे जी को एक दिसंबर 1999 से 10 दिसंबर 2005 तक 6 वर्षों के लिए किसी भी चुनाव में मतदान करने और चुनाव लड़ने में प्रतिबंध लगा दिया था
2002 में ठाकरे जी ने आतंकवादियों के खिलाफ हिंदुओं के आत्मघाती दलों के निर्माण के लिए आह्वान किया था जिसके जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने उनके ऊपर समूहों के बीच में हिंसा भड़काने के आरोप में कई मुकदमे दर्ज किए।
2005 में ठाकरे जी का मतदान प्रतिबंध हटा और उन्होंने पहली बार बीएमसी चुनाव में मतदान किया
जब शिवसेना द्वारा वैलेंटाइन डे समारोह का विरोध किया गया और लोगों पर हमले किए गए तो ठाकरे जी ने हिंसक हमलों की निंदा की और माफी भी मांगी थी।
1995 में 12 साल की पत्नी मीना ठाकरे का निधन हो गया और उसके अगले ही वर्ष उनके बड़े बेटे बिंदुमाधव की कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई अब शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे को दी गई जो कि बाला साहब के छोटे पुत्र थे इससे नाराज होकर बाला साहब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और अपनी अलग पार्टी बनाई जिसका नाम महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना है 17 नवंबर 2012 में बालासाहेब ठाकरे का निधन हो गया वह 86 साल के थे।