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देवभूमि उत्तराखंड के शिवधाम

उत्तराखंड देव भूमि के नाम से जाना जाता है यहां पर बहुत देवी देवताओं के है  इसीलिए उत्तराखंड को भूमि के नाम से जाना जाता है  आज  हम यहां पर  शिव भगवान के प्राचीन मंदिरों के बारे में बताएंगे उत्तराखंड में भगवान शंकर विभिन्न रूपों में विद्यमान है  राज्य में असंख्य शिवलिंग आस्था के केंद्र है जिनमें से कुछ तो महाभारत काल के हैं ऊंचे शिखरों से लेकर गुफाओ में भगवान शिव का वास है उत्तराखंड में महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर शैव सर्किट की परिक्रमा करें और अपने आराध्य महादेव के दर्शन का लाभ पाएं।

उत्तराखंड दो मंडलों में बटा हुआ कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल तो हम शुरू करते हैं गढ़वाल मंडल से.

 

गढ़वाल मंडल उत्तराखंड

 

एकेश्वर महादेव,पौड़ी गढ़वाल

पौड़ी के विकासखंड एकेश्वर मैं स्थित एकेश्वर महादेव मंदिर विखयात और महत्वपूर्ण सिद्पीठो में से एक है यहां पर दर्शन करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.

 केदारनाथ महादेव,रुद्रप्रयाग

 

 यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है केदारनाथ मंदिर में िस्थत शिवलिंग आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वी सदी में केदारनाथ मंदिर की स्थापना थी.

 मद्महेश्वर महादेव,उखीमठ रुद्रप्रयाग

 

  पांचो पावन धाम में से मद्महेश्वर दूसरा पावन धाम है यह चौखंभा शिखर की तलहटी पर स्थित है यहां भगवान शिव की नाभि लिंग के रूप में पूजा होती है.

 तुंगनाथ रूद्रप्रयाग

 

 यहां पर शिव की भुजाओं की पूजा की जाती है मंदिर के निकट शीला स्थित है इस शिला में ही रावण ने भगवान शिव की तपस्या की थी.

 रूद्र नाथ शिव मंदिर,चमोली 

 

प्रकृति और पहाड़ी वनस्पतियों से घिरा रुद्रनाथ मंदिर है यह पंच केदार में से एक प्राकतिक पत्थरों से बने इस मंदिर के पास चंद्रकुंड, मानस कुंड ,सूर्य कुंड,तार कुण्ड आदि

 

कोटेश्वर महादेव, टिहरी

 

कोटेश्वर महादेव मंदिर विकासखंड नरेन्द्रनगर के चाका में भागीरथी के तट पर स्थित है मंदिर में भू शिवलिंग है संतान हिंन दंपतियों को मनोकामना पूरी होती है।

काशीविश्वनाथ,उत्तरकाशी

 

उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी के तट पर काशी विश्वनाथ मंदिर है जो डेढ़ सौ साल पहले बनाया गया था ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के अनुसार यह मंदिर साधना और शांति का प्रतीक है।

रक्ष प्रताप प्रजापति मंदिर,कनखल,हरिद्वार

 

कनखल भगवान शिव की ससुराल कहलाती है ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की पत्नी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने इस स्थान पर यज्ञ किया था.

शिव मंदिर टिंबर,चमोली

टिम्बरसेड़ के शिव मंदिरों में पहाड़ी पर स्थित गुफाओं के अंदर विराजमान शिवलिंग है यह भारत चीन सीमा पर बर्फ से ढकी गढ़वाल हिमालय की गोद में बसे गांव में स्थित है।

बिनसर महादेव,थलीसैंण पौड़ी

महाराजा पृथ्वी अपने पिता बिंदु की याद में यह मंदिर बनवाया था इनको बिंदेश्वर के नाम से जाना जाता है यहां पर हर साल बैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा पर मेले का आयोजन किया जाता है

ताड़केश्वर महादेव,लैंसडौन पौड़ी

 

तारकेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है ताड़केश्वर महादेव मंदिर सिद्ध पीठ में से एक है और इसे एक पवित्र स्थल माना जाता है।

शिव मंदिर,लाखामंडल,देहरादून

लाखा का अर्थ है कहीं मंडल का अर्थ है मंदिर या शिवलिंग यहां के शिवलिंग पर जल चढ़ाने से अक्षत प्रतिबिंबित होते हैं अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठिर ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी।

कुमाऊं मंडल उत्तराखंड

सिद्ध नरसिंह मंदिर,चंपावत

 

नरसिंह मंदिर के दर्शन के लिए पूरे वर्ष श्रद्धालु आते हैं इस मंदिर का पूरा निर्माण कुछ समय पहले ही शुरू हुआ था लेकिन नवरात्र के समय यहां भक्तों की बाड़ी भीड़ देखी जाती है।

ऋषिश्वर महादेव,चंपावत

लोहावती नदी के तट पर स्थित यह मंदिर कैलाश मानसरोवर यात्रा का पड़ाव था यह लोहाघाट के लोगों की आस्था का केंद्र है इसे ऋषिश्वर महादेव के दर्शन के बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है।

जागेश्वर महादेव,अल्मोड़ा

 

लोगों के विश्वास और लिंग पुराण के अनुसार जागेश्वर संसार के पालनहार भगवान विष्णु द्वारा स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है यह शैव धर्म के पारंपरिक धामों में एक है।

पाताल भुवनेश्वर,पिथौरागढ़

 

प्राचीनतम ग्रंथ स्कध पुराण के अनुसार पाताल भुवनेश्वर की गुफा के सामने पत्थरों से बना एक एक शिल्प तमाम रहस्य को खुद में समेटे हुए हैं इस गुफा में पानी की धारा लगातार शिवलिंग पर अभिषेक करती रहती है.

बिनसर महादेव,अल्मोड़ा

 

महेशमदिनी हर गौर और गणेश के रूप में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों के साथ निहित इस मंदिर की वास्तुकला शानदार है बिनसर महादेव अपने पुरातत्व महत्व और वनस्पति के लिए लोकप्रिय हैं.

थलकेदार शिव मंदिर,पिथौरागढ़

 

यह धार्मिक स्थान अपने शिवलिंग के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है इसे हजारों वर्ष पुराना माना जाता है इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.

बागनाथ महादेव,बागेश्वर

बागेश्वर मंदिर की परिषद पर छठी-सातवीं सदी से दसवीं-ग्यारहवीं सदी के उमा-महेश,विष्णु-पार्वती,सूर्य दशावतार चतुर्मुखी शिवलिंग,गणेश,कार्तिकेय सहित कई प्रतिमाएं हैं।

 

क्रान्तेश्वर महादेव,चंपावत

 

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर को स्थानीय लोग करण देव एवं कुर्मा पद नाम से संबोधित करते हैं यह मंदिर अनोखे वास्तुशिल्प से निर्मित मंदिर है इसे कुर्म और कड़ेव के रूप में भी जाना जाता है.

कपिलेश्वर मंदिर,अल्मोड़ा

 

यह मंदिर उत्तराखंड के भव्य मंदिरों में एक है इसकी ऊंचाई लगभग 37 फीट की गई है इस मंदिर का विशेष आकर्षण इसका अलकरण है जिस पर उनके पार्शव देवता अंकित है।

 

भीमेश्वर महादेव मंदिर,नैनीताल

 

यह मंदिर नैनीताल के भीमताल झील के किनारे स्थित है इसे पांडवों द्वारा बनाया गया था भीमेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण मंदिर परिषद में मौजूद है सूर्य विष्णु की यहां पर मूर्तियां हैं।

मुक्तेश्वर महादेव मंदिर,नैनीताल

 

यह मंदिर नैनीताल से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु यहां पर दूध और जल से शिव का अभिषेक करते हैं इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है.

मोटेश्वर महादेव मंदिर,काशीपुर,उधमपुर नगर

 

शिवलिंग शिव लिंग की मोटाई अधिक होने के कारण मंदिर का नाम मोटेश्वर पड़ा भगवान शिव ने कहा जो भक्त कावड़ कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगाजल लाकर यहां चलाएगा उसे मोक्ष मिलेगा।

आशा करते हैं कि आप उत्तराखंड आकर इन सभी शिव मंदिरों के दर्शन करके मोक्ष प्राप्त करेंगे धन्यवाद।

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